आगे बढ़ना
माफ कर आगे बढ़ती रहे
रास न आता उनको देखना बढ़ना मेरा
ऐसा न था कि समझ न पायीतेरीचालाकियां
पर जानबूझकर नजरअंदाज करना फितरत है मेरी
न हो सकती कभी मैं तुम जैसी
तुम्हें तो आदत है बीच राह हाथ झटकने की होते हैं रंग जमाने में कई
पर हर रंग की खूबसूरती अलग होती है कोशिश तो बहुत की तुमने
पर रंग न पाए अपने रंग में
मानती हूँ मैं हूं कुछ अलग और हूँकुछविचित्र
मुझे बस ऐसे ही रहने दो
गुजर गयी है जिंदगी की सुबह
अब साँझ के इंतजार में
लम्हा लम्हा गुजर जाने दो
अर्चना तिवारी
kapil sharma
17-Mar-2021 09:20 AM
👍👍👍
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